
बबूल के पत्ते का काढ़ा अथवा पत्ते के पेस्ट को तण्डुलोदक के साथ प्रयोग करने से दस्त और पेचिश में फायदा होता है।
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बबूल से बनी आयुर्वेदिक औषधि, बब्बुलारिष्ट अनेक रोगों में उपयोगी है। यह खांसी, अस्थमा आदि को ठीक करने की उत्तम दवा है।
काढ़ा में थोड़ी-सी फिटकरी मिलाकर योनि को धोने से भी ल्यूकोरिया में फायदा मिलता है।
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शरीर के किसी अंग में जलन हो रही हो तो बबूल की छाल का काढ़ा बना लें। इसमें मिश्री मिलाकर पीने से जलन शांत होती है।
बबूल की get more info फली को छाया में सुखाकर पीस लें। बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम रोज पानी के साथ लें। इससे वीर्य के विकार ठीक होते हैं।
अगर आप कमर दर्द की समस्या से पीड़ित रहते हैं, तो बबूल की छाल, गोंद और कीकर की फली को बराबर मात्रा में मिला लें और उसे पीसकर रख लें। अब इसे दिन में तीन बार एक-एक चम्मच की मात्रा में सेवन करें। इससे कमर के दर्द में काफी आराम मिल सकता है।
इसके अलावा बबूल की छाल के काढ़ा से गरारा करें। इससे भी कंठ के रोग में लाभ होता है।
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